साय सरकार में प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव की चर्चा:नगरीय निकाय चुनाव की तैयारियों में जुटी कांग्रेस, बैज बोले-सीनियर नेताओं के साथ होगी मीटिंग

छत्तीसगढ़ में विधानसभा और लोकसभा चुनावों के बाद इस साल नगरीय निकायों के भी चुनाव होने हैं। इस बार चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से होगा या अप्रत्यक्ष प्रणाली से की चर्चाओं के भी कांग्रेस पार्टी के सीनियर नेताओं की जल्द ही स्थानीय चुनाव को लेकर बैठक भी होने वाली है।

दरअसल, बीजेपी सरकार के कई नेता इशारों-इशारों में इस बार नगरीय निकाय के चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली में करवाने की बात कह चुके हैं। कांग्रेस पार्टी के नेता इन्हीं मुद्दों को लेकर पर चर्चा करने के लिए बैठक करेंग।

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज

कांग्रेस की बैठक जल्द- बैज

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा स्थानीय चुनाव को लेकर लगातार हम अपने नेताओं से चर्चा कर रहे हैं। आने वाले समय में प्रदेश स्तर की एक बड़ी बैठक होने वाली है। भाजपा जो चाहे कर ले इससे कोई खास असर पड़ने वाला नहीं है।

राज्य बनने के बाद से मेयर और नगर पालिका अध्यक्ष के लिए प्रत्यक्ष चुनाव ही हुए हैं, लेकिन साल 2019 में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद चुनाव प्रक्रिया में बदलाव किया गया। तत्कालीन भूपेश सरकार ने नगरीय निकाय का पिछला चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से कराया। पार्षदों की संख्या बल पर सभी नगर निगमों में कांग्रेस के ही मेयर चुने गए।

अब एक बार फिर चुनाव सामने हैं। ऐसे में चर्चा ये भी है कि प्रदेश की साय सरकार इस बार फिर से नियमों में बदलाव के साथ प्रत्यक्ष रूप से मेयर का चुनाव करा सकती है।

रमन सरकार में ही पहला चुनाव हुआ

छत्तीसगढ़ राज्य बनने से पहले अविभाजित मध्यप्रदेश में 1999 में कांग्रेस की दिग्विजय सिंह सरकार ने राज्य में महापौर चुनने का अधिकार पार्षदों से छीनकर जनता के हाथ में दिया था। इसके बाद छत्तीसगढ़ में भी 2019 से पहले लगातार डायरेक्ट इलेक्शन ही हुए।

साल 2019 में बदला गया सिस्टम

प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद साल 2019 में नगरीय निकायों के चुनाव के पहले पूर्ववर्ती भूपेश सरकार ने नगर पंचायत, नगरपालिका और नगर निगम के चुनाव के नियमों में बड़ा बदलाव किया था। इसमें अध्यक्ष और महापौर के चुनाव का अधिकार जनता से छीनकर चुने हुए पार्षदों को दे दिया था। इसके पहले तक निकायों में अध्यक्ष और महापौर का चुनाव डायरेक्ट होता था और जनता इन शीर्ष पदों के लिए मतदान करती रही थी। तब विपक्षी पार्टी बीजेपी ने इसका विरोध करते हुए खरीदी-फरोख़्त की आशंका जताई थी।

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