रायपुर । छत्तीसगढ़ DMF घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) अपनी जांच तेज कर दी है। आज निलंबित IAS रानू साहू को पीएमएलए स्पेशल कोर्ट में पेश किया जाएगा। जहां ED उन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ करेगी। इसी मामले में बुधवार को महिला अधिकारी माया वारियर को गिरफ्तारी किया गया था।
जेल में बंद रानू साहू को प्रोडक्शन वारंट पर बुधवार को स्पेशल कोर्ट में बुलाया गया था। लेकिन बीमारी के कारण वे कोर्ट में पेश नहीं हुई। जेल से खबर आई थी कि रानू साहू को हाइपरटेंशन की प्रॉब्लम हो गई है। ब्लड प्रेशर बढ़ गया है। इसलिए आज इस मामले में सुनवाई होगी।
रानू और माया में करीबी संबंध…रानू साहू जून 2021 से जून 2022 तक कोरबा में कलेक्टर थीं। इसके बाद फरवरी 2023 तक वह रायगढ़ में कलेक्टर रहीं। इस दौरान माया वारियर भी कोरबा में पदस्थ थीं। रानू साहू से करीबी संबंध होने के कारण ईडी ने माया वारियर के दफ्तर और घर में छापा मारा था।DMF की बड़ी राशि आदिवासी विकास विभाग को प्रदान की गई थी, जिसमें घोटाले का आरोप है। इसका प्रमाण मिलने के बाद ED ने माया वारियर की गिरफ्तारी की है।
क्या है DMF घोटाला…प्रदेश सरकार की ओर से जारी की गई जानकारी के मुताबिक ED की रिपोर्ट के आधार पर EOW ने धारा 120 बी 420 के तहत केस दर्ज किया है। इस केस में यह तथ्य निकल कर सामने आया है कि डिस्ट्रिक्ट माइनिंग फंड कोरबा के फंड से अलग-अलग टेंडर आवंटन में बड़े पैमाने पर आर्थिक अनियमितताएं की गईं है। टेंडर भरने वालों को अवैध लाभ पहुंचाया गया।
40% सरकारी अफसरों को कमीशन मिला…जांच रिपोर्ट में यह पाया गया है कि टेंडर की राशि का 40% सरकारी अफसर को कमीशन के रूप में इसके लिए दिया गया है। प्राइवेट कंपनियों के टेंडर पर 15 से 20% अलग-अलग कमीशन सरकारी अधिकारियों ने ली है। ED ने अपनी जांच रिपोर्ट में पाया था कि IAS अफसर रानू साहू और कुछ अन्य अधिकारियों ने अपने-अपने पद का गलत इस्तेमाल किया।
ED के तथ्यों के मुताबिक टेंडर करने वाले संजय शिंदे, अशोक कुमार अग्रवाल, मुकेश कुमार अग्रवाल, ऋषभ सोनी और बिचौलिए मनोज कुमार द्विवेदी, रवि शर्मा, पियूष सोनी, पियूष साहू, अब्दुल और शेखर नाम के लोगों के साथ मिलकर किसी चीज की असल कीमत से ज्यादा का बिल भुगतान कर दिया। आपस में मिलकर साजिश करते हुए पैसे कमाए गए।