नगर निगम में हो सकते है प्रत्यक्ष चुनाव:नियम बदलने के सवाल पर बोले डिप्टी CM- करेंगे विचार

रायपुर।छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय के चुनाव इसी साल होने को है ।इसमें नियमों के बदलाव हो सकते हैं ।इशारों – इशारों में यह बात प्रदेश के डिप्टी सीएम और नगरीय प्रशासन विभाग के मंत्री अरुण साव ने कहीं। मंगलवार को मीडिया ने नगरीय निकाय चुनाव को लेकर सवाल किया ।पूछा गया कि क्या अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली को बदल जाएगा । अप्रत्यक्ष चुनाव से मतलब है कि जनता महापौर नहीं पार्षद चुनते हैं । प्रत्यक्ष में जनता पार्षद और महापौर दोनों का चुनाव करती है ।इसका जवाब देते हुए अरुण साव ने कहा बहुत जल्द ही लोकसभा चुनाव की समाप्ति के बाद नगरीय निकाय चुनाव कैसे हो, इस पर निर्णय करेंगे सभी एंगल पर विचार करके इस पर निर्णय लेंगे हमारी सरकार नगरीय निकाय चुनाव के लिए तैयार है प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष प्रणाली को लेकर विचार किया जाएगा।

कांग्रेस सरकार ने बदला था नियम

छत्तीसगढ़ राज्य बनने से पहले अविभाजित मध्य प्रदेश में कांग्रेस के दिग्विजय सिंह सरकार ने राज्य में महापौर चुनने का अधिकार पार्षदो से छीनकर जनता के हाथ में दे दिया था ।तब तरुण चटर्जी पहले महापौर पर थे, जो जनता के बीच से चुनकर आए थे। तब से अब तक महापौर का चार बार चुनाव सीधे मतदान से हुआ ।पिछली बार 2018 में जब कांग्रेस की भूपेश सरकार सत्ता में आई तो नियमों में फेरबदल किया गया।सीधे जनता ने नही बल्कि पार्षदों ने महापौर का पद का चुनाव किया । एजाज ढेबर को महापौर चुना गया। तब भाजपा ने इसका विरोध भी किया था। रायपुर में आखिरी बार बलवीर जुनेजा ही अप्रत्यक्ष चुनाव से महापौर बने थे ।1999 में दिग्विजय सिंह सरकार ने महापौर का प्रत्यक्ष चुनाव कराने का प्रावधान किया। तब सबसे पहले तरुण चटर्जी महापौर चुनकर आए। वे 2000 से 2003 तक महापौर रहे।इसके बाद पूरे दस साल रायपुर नगर निगम्बमे कांग्रेस का कब्जा रहा। पहले डॉक्टर किरणमयी नायक महिला आरक्षण कारण महापौर बनी।उन्होंने भाजपा के प्रभा दुबे को हराया था। 2015 में प्रमोद दुबे महापौर चुनकर आए इसके बाद 2018 में पार्षदों ने एजाज ढेबर को चुना था।

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