भिलाई नगर । पंद्रह दिन पहले नगर पालिक निगम में सड़क मरम्मत सहित कुछ ऐसे काम का भुगतान निगम मद से कर दिया गया जो कि तत्कालीन आयुक्त की भी जानकारी में नहीं था। जब निगम कर्मचारियों के वेतन सहित अन्य आवश्यक भुगतान को लेकर निगम मद में फंड नहीं बचा तब वैशाली नगर विधायक रिकेश सेन के संज्ञान में यह प्रकरण सामने आया है और उन्होंने तत्काल कमिश्नर से बात कर गंभीर भ्रष्टाचार की आशंकावश मामले की जानकारी वित्त मंत्री ओपी चौधरी और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को पत्र लिख दी थी। श्री सेन ने बताया था कि निगम के कुछ अधिकारी और जनप्रतिनिधियों की मिलीभगत से निगम मद का दुरूपयोग हुआ है जिसकी तत्काल जांच कर दोषी लोगों पर कार्रवाई की मांग भी उन्होंने की है। श्री सेन ने प्रारंभिक जांच में आशंका जताई थी कि लगभग 65 लाख का हिसाब गड़बड़ किया गया और निगम मद से भुगतान भी हो गया। इस मामले में निगम के लेखाधिकारी भी संदेह के दायरे में हैं।वैशाली नगर विधायक की पहल पर तत्काल कार्रवाई करते हुए सम्पूर्ण मामले की जांच के लिए राज्य शासन ने मामले को संज्ञान में लेकर निगम लेखाधिकारी जितेन्द्र कुमार ठाकुर का भिलाई निगम से स्थानांतरण आदेश जारी कर दिया है। लेखाधिकारी ठाकुर प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना अतिरिक्त परियोजना क्रियान्वयन इकाई बेमेतरा स्थानांतरित किए गए हैं जबकि मुख्यमंत्री ग्राम एवं सड़क विकास योजना ग्रामीण दुर्ग लेखाधिकारी चंद्रभूषण साहू को नगर निगम भिलाई लेखाधिकारी का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है।आपको बता दें कि नगर निगम भिलाई में तत्कालीन आयुक्त की बगैर जानकारी निगम मद से सड़क मरम्मत सहित कुछ ऐसे काम का भुगतान कर दिया गया, जिससे निगम कर्मचारियों के वेतन सहित अन्य आवश्यक भुगतान को लेकर निगम मद में फंड नहीं बचा था। इस तरह की शिकायत मिलने पर वैशाली नगर विधायक रिकेश सेन ने कुछ सूचीबद्ध कार्यों के संबंध में जब तत्कालीन कमिश्नर देवेश कुमार ध्रुव से फोन पर जानकारी ली तो उन्होंने बताया कि ये सभी कार्य न तो उनके संज्ञान में हैं और न ही उन्होंने ऐसे किसी कार्य को लेकर आदेश जारी किया है। विधायक रिकेश ने कहा कि निगम मद से 25 लाख सड़क मरम्मत, 14 लाख पेयजल आदि कुछ ऐसे कार्य हैं जिनके लिए कुछ लोगों की मिलीभगत से निगम मद का दुरूपयोग किया गया है। विधायक रिकेश ने तत्काल मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को पत्र लिख निगम मद बजट से ऐसे कार्यों की जांच कर दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की है। गौरतलब है कि यदि तत्कालीन कमिश्नर को भी निगम मद के ऐसे दुरूपयोग की जानकारी नहीं है तो आशंका यह भी है कि आयुक्त के फर्जी हस्ताक्षर और कूटरचना से ऐसे कार्य के भुगतान के लिए निगम मद का दुरूपयोग हुआ हो। फिलहाल इस तरह के कुल 65 लाख के भुगतान सूचीबद्ध किए गए हैं जिनकी जांच होनी आवश्यक है। श्री सेन ने कहा कि जल्द ही ऐसे कार्य को अंजाम देने वाले अधिकारियों की कारस्तानी का खुलासा होगा।