लोकसभा में कांग्रेस की पहली जीत! 10 साल से खाली पड़े इस ओहदे पर बैठेंगे राहुल गांधी

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी पार्टी की नेता सोनिया गांधी की जगह लेंगे. इससे कांग्रेस की ओर से आखिरी बार वही इस पद पर बनी हुईं थी. साल 2014 से यह पद खाली पड़ा हुआ था.

दिल्ली।संसद में ओम बिरला बुधवार (26 जून) को लगातार दूसरी बार लोकसभा के अध्यक्ष चुने गए हैं।इसके बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने 10 साल बाद राहुल गांधी को नेता विपक्ष की मान्यता दी। राहुल गांधी का नेता प्रतिपक्ष का दर्जा 9 जून, 2024 से प्रभावी रहेगा।कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को मंगलवार (25 जून) को विपक्ष का नेता बनाया गया था. पार्टी के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने उनके नाम की घोषणा की थी।

इससे पहले सोनिया गांधी थीं इस पद पर

 इससे पहले साल 2009 से 2014 तक भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की दिवंगत नेता सुषमा स्वराज लोकसभा में विपक्ष की नेता थीं।कांग्रेस की तरफ से विपक्षी आखिरी नेता सोनिया गांधी थी जो 1999 से 2004 तक इस पद पर थीं। इसके अलावा राजीव गांधी भी 18 दिसंबर 1989 से 24 दिसंबर 1990 तक विपक्ष के नेता रहे हैं।

इंडिया गठबंधन की बैठक में लिया गया फैसला

राहुल गांधी को लोकसभा में विपक्ष का नेता नियुक्त करने का फैसला कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के नई दिल्ली स्थित आवास पर इंडिया गठबंधन के नेताओं की बैठक में लिया गया था। राहुल गांधी पांच बार सांसद रह चुके हैं और वर्तमान में लोकसभा में रायबरेली निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उन्होंने मंगलवार को संविधान की एक प्रति लेकर सांसद के रूप में शपथ ली थी।

पीएम ने नवनिर्वाचित लोकसभा अध्यक्ष को दी बधाई

इससे पहले बुधवार को राजस्थान के कोटा से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसद ओम बिरला को दूसरी बार लोकसभा का अध्यक्ष चुने जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विपक्ष के नेता राहुल गांधी और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू उन्हें आसन तक लेकर गए थे। इसके बाद ओम बिरला को बधाई और शुभकामनाएं देते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘‘आप दूसरी बार इस आसन पर विराजमान हो रहे हैं, यह इस सदन का सौभाग्य है। 18वीं लोकसभा में अध्यक्ष का कार्यभार दूसरी बार संभालना अपने आप में एक नया रिकॉर्ड है ।

‘विपक्ष सदन चलाने में करेगा पूरा सहयोग’

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने भी सदन के नवनिर्वाचित अध्यक्ष ओम बिरला को बधाई दी और कहा, “हमें उम्मीद है कि वह विपक्ष को बोलने का मौका देकर संविधान रक्षा का अपना दायित्व निभाएंगे. विपक्ष सदन चलाने में पूरा सहयोग करेगा, लेकिन यह भी जरूरी है कि विपक्ष को सदन के अंदर लोगों की आवाज उठाने का मौका मिले।

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