भिलाई- दुर्ग।संत निरंकारी मंडल द्वारा बचपन से ही बच्चो को आध्यत्म से जोड़े रखने के लिए सत्संग व सेवा सिखाई जाती है ,बच्चों को बचपन से ही सत्संग में लाना बहुत जरूरी है क्योंकि घर-परिवार में प्रेम और सत्कार हो यही व्यवहारिक सीख निरंकारी मिशन दे रहा है। आज के समय में जहाँ बच्चे कुसंगति का संग कर लेते हैं और परिणामस्वरूप घर का माहौल खराब हो जाता है इसलिए बाल समागमों का उद्देश्य सभी बच्चों को आध्यात्म की ओर प्रेरित करना है।इन्ही शिक्षाओ को ध्यान में रखते हुए।
वर्ष में एक बार बच्चे अपनी आध्यत्म की इन्ही शिक्षाओ को नृत्य, गीत,नाटक के माध्यम से प्रस्तुत करते है इसी का नाम बाल संत समागम है।आज संत निरंकारी सत्संग भवन दीपक नगर दुर्ग में आयोजित इस बाल समागम में बच्चो ने सतगुरु माता सुदीक्षा जी की शिक्षा एकत्व का संदेश दिया।
छोटे छोटे बच्चों ने मोहक आध्यात्मिक प्रस्तुति देकर सारी संगत का मन मोह लिया।
छत्तीसगढ़ लोक कला को समर्पित पंथी नृत्य एवम फुगड़ी की प्रस्तुति जामुल के बच्चो ने दी।सूफी सांग ने सभी को भाव विभोर कर दिया।सूफी में यह बताया कि हे सतगुरु माता तेरी वजह से ये ईश्वर मिला है।छोटे बचो ने एक नाटक के माध्यम से बचो में मोबाइल के दुष्प्रभाव को दर्शाया गया।माता पिता ही बच्चों को सही मार्गदर्शन दे सकते है जब माता पिता ही मोबाइल में लगे रहेंगे तो बच्चे भी वही सीखेंगे।इस नाटक के माध्यम से शिक्षा दी गई कि बच्चों को खाली समय मे सत्संग,अछि पुस्तके पढ़ने की शिक्षा दे यदि हम बचो को मोबाइल दे भी रहे है तो कन्टेन्ट क्या दे गीत सुनने की इच्छा है तो सूफी सांग व अछे आध्यात्मिक गीत सुने स्टोरी सुनने की इच्छा हो तो वाईस डिवाइन सुने विशेष प्रस्तुति पंजाबी नृत्य भांगडा में ईश्वर का संदेश हम सब एक है प्रदर्शित हुआ।सभी इस प्रस्तुति में सभी झूमने लगे।बाल संतो को जामुल मुखी श्री पंच राम साहू जी ,दुर्ग के संयोजक इंदरजीत निरंकारी व भिलाई के संयोजक सतपाल सैनी जी ने अपने उद्बोधन में बचो की प्रतिभा की प्रशंसा की।निरंकारी बच्चे अध्यात्म के क्षेत्र में बचपन से सक्रिय रहते है बचपन से अछि शिक्षाये गलत रास्ते पर नही ले जाती।सिंधी ,पंजाबी,उड़िया व अन्य भाषाओं में निरंकारी मिशन का संदेश अनेकता में एकता का संदेश देती है।रायपुर से आई बहन रीना जी ने अपने संदेश में फरमाया कि”छोटे छोटे बच्चो ने बड़ी बड़ी शिक्षा दी।ईश्वर के प्रति बचो में विश्वास भरना हम माता पिता का कार्य है।
जब बच्चा बाल संगत से जुड़ जाता है तो वे बच्चे गलत दिशा में अपना कदम नही बढ़ाते।ऐसे बच्चे सदाचार की दिशा तय करते है।ऐसे बच्चे खरा सोना बनकर निकलते है।जब माता पिता बचो में विश्वास भरते है तो वो बच्चे इंसानियत का पाठ पढ़कर निकलते है।”इस समागम में दुर्ग भिलाई के अलावा जामुल,उरला,अहिवारा के बच्चों ने अपनी प्रस्तुति दी।
इस विशेष आयोजन की विशेष तैयारी में सविता निरंकारी,निकिता डिंगा,गंगा मखीजा,मयूरी वर्मा,आरती वर्मा,नम्रता नायक तुलसी,सुभानशी चक्रवर्ती, श्रेया ठकवानी,निशा,पूजा मखीजा बजाज,रोशन,गुलशन,तरुण,अतित्व,खुश्बू, तुलसी,उमा साधवानी,मुस्कान एवम अन्य युवा साथियों का सहयोग रहा।