भिलाई |सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र के निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व विभाग (सी.एस.आर), और छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प विकास बोर्ड के संयुक्त तत्वावधान में 21 मई 2024 को ग्राम धौराभाठा, विकास खंड पाटन, जिला दुर्ग (छत्तीसगढ़) में महिलाओं को आत्मनिर्भर और स्वावलंबी बनाने के उद्देश्य से 90 दिवसीय (तीन माह ) बांस हस्तशिल्प कला प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन महाप्रबंधक (इंस्ट्रूमेंटेशन) सुश्री सिम्मी गोस्वामी ने छत्तीसगढ़ महतारी के चित्र पर माल्यार्पण कर किया।
इस अवसर पर महाप्रबंधक (सीएसआर) शिवराजन नायर, वरिष्ठ प्रबंधक (सीएसआर) सुशील कुमार कामड़े, पंचायत सरपंच (धौराभाठा) बिन्देश्वरी मेश्राम, हस्तशिल्प कला प्रशिक्षक राहुल भगत सहित 30 प्रशिक्षु महिलायें एवं गाँव के अन्य लोग उपस्थित रहे।
मुख्य अतिथि महाप्रबंधक (इंस्ट्रूमेंटेशन) सुश्री सिम्मी गोस्वामी ने अपने उद्बोधन में आधुनिक दौर में बदल रही महिलाओं की भूमिकाओं पर प्रकाश डाला और बांस और हस्तशिल्प की उपयोगिता और महत्व के विषय में अपने विचार साझा किये। उन्होंने कहा कि मोबाइल और इंटरनेट के आने से दुनिया बहुत छोटी हो गई है और महिलाएं इसका सदुपयोग करके बाजार के साथ बेहतर संबंध स्थापित कर अपने उत्पादों को बाजार तक आसानी से पहुंचा सकती हैं।
कार्यक्रम में विशेष अतिथि महाप्रबंधक (सीएसआर)शिवराजन नायर ने कहा कि गांव की अर्थव्यस्था कृषि आधारित है, खेती-बाड़ी करने वाली महिलाओं के पास हुनर होगा तो उन्हें आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता। उन्होंने महिलाओं को उन स्किल्स को सीखने के लिए प्रोत्साहित किया जिनकी बाजार में अधिक मांग है, ताकि वे खुद भी आत्मनिर्भर बन सकें और आसपास की महिलाओं के लिए प्रेरणा बन सकें।
वरिष्ठ प्रबंधक (सीएसआर) सुशील कुमार कामड़े ने प्रशिक्षण कार्यक्रम पर जानकारी देते हुए बताया कि प्रशिक्षण के दौरान प्रत्येक प्रशिक्षु महिला को प्रतिमाह 3,000 रुपए की मानदेय राशि भी प्रदान की जाएगी। प्रशिक्षण पूर्ण होने पर भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा महिलाओं को आवश्यक उपकरण भी प्रदान किए जायेंगे जिस से महिलाओं को शिल्पकला को रोजगार के रूप में अपनाने में मदद मिलेगी।
ग्राम धौराभाठा की सरपंच बिन्देश्वरी मेश्राम ने गांव की महिलाओं को मेहनत से आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते हुए कहा कि आगे बढ़ने के लिए हाथ में हुनर होना सबसे आवश्यक है।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत महिलाओं को बांस से बने विभिन्न प्रकार के हस्तशिल्प बनाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा, साथ ही महिलाओं को उद्यमिता विकास के बारे में भी जानकारी दी जाएगी, ताकि वे अपने प्रशिक्षण का उपयोग करके अपना स्वयं का व्यवसाय शुरू कर सकें।
इस कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ प्रबंधक (सीएसआर) सुशील कुमार कामड़े द्वारा किया गया तथा कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन ग्राम धौराभाठा के श्री राजेन्द्र मेश्राम द्वारा किया गया।