अखिल भारतीय शिक्षा समागम 2023 संपन्न हुआ, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने समापन समारोह को संबोधित किया

नई दिल्ली :

अखिल भारतीय शिक्षा समागम (एबीएसएस) 2023 का आज समापन हो गया, जिसमें शिक्षा क्षेत्र के दिग्‍गजों ने भारत को एक समतापूर्ण और जीवंत ज्ञान समाज में बदलने के लिए सामूहिक रूप से काम करने का संकल्प लिया।

भारत सरकार के केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने मुख्य अतिथि के रूप में समापन समारोह में भाषण दिया।

इस अवसर पर शिक्षा राज्य मंत्री श्रीमती अन्नपूर्णा देवी, डॉ. सुभाष सरकार और डॉ. राजकुमार रंजन सिंह भी उपस्थित थे। इस कार्यक्रम में उच्च शिक्षा विभाग के सचिव श्री के. संजय मूर्ति, शिक्षा मंत्रालय के स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग के सचिव श्री संजय कुमार तथा कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के सचिव श्री अतुल कुमार तिवारी भी उपस्थित थे।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने दिल्ली में शिक्षा मंत्रालय और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित भारत मंडपम में अखिल भारतीय शिक्षा समागम का उद्घाटन किया। यह कार्यक्रम राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की तीसरी वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित किया गया है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पीएम स्कूल फॉर राइज़िंग इंडिया (एसएचआरआई) योजना के अंतर्गत धनराशि की पहली किस्त भी जारी की। 6207 स्कूलों को पहली किस्त मिली, जिसकी कुल धनराशि 630 करोड़ रुपये थी। उन्होंने 12 भारतीय भाषाओं में अनुवादित शिक्षा और कौशल पाठ्यक्रम की पुस्तकों का भी विमोचन किया।

समापन सत्र को संबोधित करते हुए, केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि शिक्षा परिवार भारत को ज्ञान आधारित महाशक्ति बनाने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने शिक्षा जगत से शिक्षा के इस महाकुंभ को अखिल भारतीय संस्थान में बदलने का आग्रह किया। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के कार्यान्वयन के लिए प्राथमिक प्रयोगशाला के रूप में पीएम स्कूल फॉर राइज़िंग इंडिया (एसएचआरआई) योजना के स्कूल पर प्रकाश डालते हुए, केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने शैक्षणिक संस्थानों के प्रमुखों से स्कूल इकोसिस्टम को मजबूत करने के लिए ठोस प्रयास करने को भी कहा।

श्री प्रधान ने कहा कि भविष्य के लिए तैयार होने के लिए, किसी को भारतीय भाषाओं में कौशल के बारे में सोचना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा (एनसीएफ) दिशा-निर्देशों को पाठ्यपुस्तकों में परिवर्तित करना हम सभी का दायित्व है। श्री प्रधान ने कहा कि सभी शैक्षणिक एवं कौशल संस्थानों को इस पर रूचि लेकर कार्य करना होगा। उन्होंने युवाओं का क्षमता निर्माण और प्रभावी महाविद्यालय प्रशासन को सक्षम करने की दिशा में निरंतर प्रयास सुनिश्चित करने पर भी बल दिया।

इस अवसर पर अपने संबोधन में केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. राजकुमार रंजन सिंह ने इस बात पर बल दिया कि इस आयोजन ने भारत के सम्मान, समय और भविष्य के लिए तैयार कार्यबल को आगे बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि यह आयोजन दृढ़ता से यह बताता है कि हमारी शिक्षा प्रणाली अनूठी है जो परंपरा, तर्क और संस्कृति का मिश्रण है।

केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुभाष सरकार ने शिक्षा चुनौतियों को संबोधित करने और आकांक्षाओं को पूरा करने में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने नीति की पहल को लागू करने में शिक्षा मंत्रालय के समर्पित प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम ने उत्पादकता और विकास को बढ़ावा देने के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं के आदान-प्रदान को प्रोत्साहन दिया। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के कार्यान्वयन के क्रांतिकारी प्रभाव को प्रत्यक्ष रूप से देखने के लिए एक मंच भी प्रदान किया।

केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री श्रीमती अन्नपूर्णा देवी ने कहा कि पूरी दुनिया भारत को नई संभावनाओं के रूप में देख रही है। उन्होंने कहा कि इस दो दिवसीय कार्यक्रम के दौरान विभिन्न गणमान्य व्यक्तियों द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर की गई चर्चा निस्संदेह शिक्षा जगत के लिए बहुत लाभदायक होगी। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी)- 2020 के एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में स्कूलों में शिक्षा की पद्धति के रूप में मातृभाषा के उपयोग पर बल दिया।

व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण के लिए राष्ट्रीय परिषद (एनसीवीईटी) की अध्यक्ष डॉ. निर्मलजीत सिंह कलसी ने नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क (एनसीआरएफ) और अप्पार, प्रदर्शन मूल्यांकन, समीक्षा एवं समग्र विकास के लिये ज्ञान का विश्लेषण (पीएआरएकएच), काम का भविष्य, उद्योग संपर्क और रोजगार तथा लॉजिस्टिक सेक्टर (पीएम गति शक्ति) पर केंद्रित सत्रों का सारांश एवं भविष्य की योजना के बारे में जानकारी प्रदान की। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास के निदेशक प्रोफेसर वी. कामकोटि ने डिजिटल सशक्तिकरण, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और शासन तक पहुंच, समानता एवं समावेशन, फाउंडेशन साक्षरता तथा संख्यात्मकता (एफएलएन) और अंतर्राष्ट्रीयकरण पर सत्रों का सारांश दिया। उनके बाद, राष्ट्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी मंच (एनईटीएफ) के अध्यक्ष प्रोफेसर अनिल सहस्रबुद्धे ने राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) तथा जिला शैक्षिक प्रशिक्षण संस्थान (डीआईईटी), नवाचार और उद्यमिता, अनुसंधान और विकास, राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) तथा भारतीय ज्ञान प्रणाली (आईकेएस) के माध्यम से शैक्षिक संपर्क पर सत्रों के लिए एक सारांश और भविष्य की योजना प्रस्तुत की।

दो दिवसीय कार्यक्रम में स्कूली शिक्षा, उच्च शिक्षा और कौशल शिक्षा के विभिन्न विषयों पर 16 विषयगत सत्रों में शिक्षाविदों की भागीदारी भी देखी गई। उनका नेतृत्व शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं, नीति निर्माताओं, नियामकों, उद्योग विशेषज्ञों/प्रतिनिधियों, भारत सरकार/राज्य और केंद्रशासित प्रदेश सरकारों के अधिकारियों आदि में से प्रतिष्ठित और सम्मनित पैनलिस्ट ने किया था। इसका उद्देश्य विचार-मंथन करना और कार्यान्वयन के लिए विभिन्न दृष्टिकोणों और पद्धतियों की पहचान करना, राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी)- 2020; रूपरेखा और कार्यान्वयन रणनीतियों को प्रभावी ढंग से स्पष्ट करना, ज्ञान के आदान-प्रदान को प्रोत्साहन देना, चुनौतियों पर चर्चा करना; राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी)- 2020 के प्रभावी, सुचारू और समय पर कार्यान्वयन के लिए सभी हितधारकों को एक साथ आने और नेटवर्क बनाने के लिए एक साझा मंच प्रदान करना; और राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी)- 2020 के कार्यान्वयन के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं पर विचार-विमर्श करना और साझा करना था।

व्यापक विचार-विमर्श (i.) गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और शासन तक पहुंच (उच्च शिक्षा), (ii.) अनुसंधान और विकास, (iii.) शिक्षा का अंतर्राष्ट्रीयकरण, (iv.) ज्ञान प्रणाली, (v.)गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और शासन (डीओएसईएल), (vi.) एनसीआरएफ और एपीएएआर (शैक्षणिक खाता रजिस्ट्री), (vii.) न्यायसंगत और समावेशी शिक्षा: सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित समूहों (एसईडीजीएस) के मुद्दे, (viii.) नवाचार और उद्यमिता, (ix.) राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) और जिला शैक्षिक प्रशिक्षण संस्थान (डीआईईटी) के माध्यम से संस्थानों को सशक्त बनाना और शैक्षिक संबंधों को मजबूत करना, (x.) शिक्षा और कार्य के कौशल भविष्य के बीच तालमेल बनाना (एमएसडीई), (xi.) मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता को समझना (डीओएसईएल), (xii.) राष्ट्रीय संस्थान रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ), (xiii.) डिजिटल सशक्तिकरण और क्षमता निर्माण, (xiv.) पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के माध्यम से लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में क्षमता निर्माण, (xv.) कौशल के एकीकरण के माध्यम से समग्र शिक्षा, (xvi.) उद्योग संपर्क और रोजगार, योग्यता आधारित मूल्यांकन का एक रोडमैप: परख (डीओएसईएल) जैसे विषयों पर आधारित था।

इन दो दिनों के दौरान, उच्च शिक्षा, स्कूली शिक्षा और कौशल जैसे विभिन्न क्षेत्रों को शामिल करते हुए कुल 106 महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए।

श्री धर्मेंद्र प्रधान ने केंद्रीय शास्त्रीय तमिल संस्थान (सीआईसीटी) की दस प्रमुख परियोजनाओं पर निम्नलिखित पुस्तकों का भी विमोचन किया:

• प्राचीन तमिल कृतियों के निश्चित संस्करण

• प्राचीन तमिल कृतियों का अनुवाद

• तमिल का ऐतिहासिक व्याकरण

• तमिल की प्राचीनता: एक अंतर-अनुशासनात्मक अनुसंधान

• तमिल बोलियों का समकालिक और ऐतिहासिक अध्ययन

• भारत एक भाषाई क्षेत्र के रूप में

• प्राचीन तमिल अध्ययन के लिए डिजिटल पुस्तकालय

• शास्त्रीय तमिल का ऑनलाइन शिक्षण

• शास्त्रीय तमिल कार्यों के लिए कॉर्पस विकास

• शास्त्रीय तमिल पर दृश्य एपिसोड

केंद्रीय शिक्षा मंत्री महोदय ने उल्लास का मोबाइल ऐप, प्रतीक चिन्ह और आदर्श वाक्य भी जारी किया।

समारोह के दौरान स्कूल शिक्षा और उच्च शिक्षा की दुनिया और कौशल ईको-सिस्टम की सर्वोत्तम पहलों को प्रदर्शित करने वाली एक प्रदर्शनी प्रमुख आकर्षण थी। मल्टीमीडिया प्रदर्शनी में शिक्षा और कौशल परिदृश्य, उद्योग और प्रमुख हितधारकों के तहत संस्थानों, संगठनों द्वारा स्थापित 200 स्टॉल शामिल थे। कुछ प्रदर्शकों में शामिल हैं- भारतीय ज्ञान प्रणाली, आइडिया लैब, स्टार्ट-अप, राज्य विश्वविद्यालय आदि। दो दिनों में लगभग 2 लाख दर्शकों ने प्रदर्शनी का दौरा किया। इन दर्श्कों में विद्यार्थी, युवा स्वयंसेवक और युवा संगम के प्रतिभागी शामिल थे।

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