महादेव सट्टा ऐप का इंडिया हेड लखनऊ से गिरफ्तार:32 फर्जी कंपनियां बनाई, पोर्ट कराकर 4000 सिम दुबई भेजी गई, 12 हजार लोग नौकरी पर

यूपी STF ने लखनऊ से अभय सिंह और संजीव सिंह को गिरफ्तार किया है।

महादेव सट्टा ऐप से जुड़े लोगों पर लगातार कार्रवाई जारी है। प्रवर्तन निदेशालय और छत्तीसगढ़ EOW के बाद अब यूपी STF ने लखनऊ से अभय सिंह और संजीव सिंह को गिरफ्तार किया है। अभय महादेव बुक और दूसरे गेमिंग बेटिंग ऐप का इंडिया हेड है। संजीव उसका सहयोगी है। अभय पर अरबों की जालसाजी का आरोप है। दोनों देवरिया के रहने वाले हैं।

महादेव बुक का नेटवर्क अभय सिंह का फुफेरा भाई अभिषेक दुबई से चलाता है। 32 कंपनियों के नाम पर इंडिया से 4 हजार सिम दुबई भेजी गई थी। इन्हीं सिम के जरिए जालसाजी का खेल खेला जाता था। इस पूरे सिस्टम को ऑपरेट करने के लिए 12 हजार लोगों को नौकरी पर दुबई भेजा गया था।

सिम के बदले देते थे 25 हजार रुपए सैलरी

महादेव बुक से जुड़े लोग गरीब-अनपढ़ लोगों से सिम लेते थे। इसके बदले उन्हें 25 हजार रुपए सैलरी देते थे, फिर सिम को दूसरी कंपनी में पोर्ट कराकर जालसाजी करते थे। महादेव ऐप पर ED का शिकंजा कसने के बाद आरोपियों की ओर से कई गेमिंग और बेटिंग ऐप ऑपरेट किए जा रहे हैं। IPL मैचों में करोड़ों का सट्‌टा लगवाकर धोखाधड़ी की जा रही है।

अब जानिए सट्‌टेबाजी का पूरा गेम

आरोपी अभय सिंह ने STF की पूछताछ में बताया कि मेरी बुआ का बेटा अभिषेक सिंह दुबई में रहता है। साल 2021 में अभिषेक ने फोन करके कहा कि अपने क्षेत्र से गरीब और अनपढ़ लोगों के नाम से सिम खरीदना है। महीने के 25 हजार रुपए सैलरी और 500 रुपए प्रति सिम मिलेगा। सिम एक कंपनी से दूसरी कंपनी में पोर्ट करना है।

इसके बाद सिम खरीदकर पोर्ट कराने का काम शुरू किया गया। एक महीने में 30-35 सिम पोर्ट कराकर छत्तीसगढ़ के भिलाई के रहने वाले पिंटू उर्फ शुभम सोनी को दिए गए। शुभम सोनी अभिषेक के साथ काम करता था। सिम का UPC कोड अभिषेक के साथ काम करने वाले भिलाई के ही चेतन को भेजता था|

पहली बार मिली 75 हजार रुपए की सैलरी

अभय ने बताया कि मुझे पहली सैलरी 75 हजार रुपए मिली। इसके बाद कॉर्पोरेट सिम खरीदने का काम दिया गया। फर्जी दस्तावेज से कंपनियों के नाम पर इन सिमों को रजिस्टर्ड किया गया। इसमें चेतन भी कुछ कंपनियों के दस्तावेज और फर्जी आधार कार्ड भेजता था। इन सिमों के एक्टिवेशन पर 2 हजार रुपए का कमीशन मिलता था।

शुभम इस पूरे नेटवर्क का सुपरविजन करता था। वह महीने में 150 से 200 सिम एक्टिवेट कराकर दुबई भेजता था। फरवरी 2024 से कॉर्पोरेट सिम लेने पर कंपनी के साथ-साथ कर्मचारी के नाम का भी KYC होने लगा। हाल ही में आरोपियों ने एक व्यक्ति के नाम पर 5-6 सिम खरीदी।

गोरखपुर, वाराणसी, प्रयागराज, जयपुर, पुणे, मुंबई और ओडिशा से फर्जी तरीके से सिम पोर्ट और एक्टिवेट कराए गए।

नौकरी के लिए 12 हजार लोग दुबई भेजे गए

आरोपी ने बताया कि इन कंपनियों में काम करने के लिए 10-12 हजार लोग भारत से दुबई भेजे गए, जो गेमिंग ऐप के बैंक अकाउंट, वॉट्सऐप/टेलीग्राम अकाउंट और दूसरी सर्विस देखते हैं। इस समय टेलीग्राम और वॉट्सऐप ग्रुप के जरिए IPL में भी हजारों करोड़ का सट्‌टा लगाया जा रहा है।

इसका प्रमोशन और मार्केटिंग भी अलग-अलग कंपनियों के जरिए किया जाता है। कंपनियों की तरफ से बैंक खाता किराए पर लिया गया है। साथ ही कंपनी का रजिस्ट्रेशन कराकर सिम पोर्ट कर दुबई भेजी जाती हैं।

इन राज्यों ने ऑनलाइन सट्टेबाजी पर सख्ती बरती है।

अभय के कहने पर अपने नाम से कंपनी रजिस्टर्ड कराई

STF की पूछताछ में संजीव सिंह ने बताया कि उसने अभय के कहने पर अपने नाम से कंपनी रजिस्टर्ड कराई थी। मामले में विभूतिखंड थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। STF के एएसपी विशाल विक्रम सिंह की टीम ने दोनों आरोपियों से पूछताछ की है। आरोपियों के पास से 264 सिम कार्ड बरामद किए गए हैं।

इसमें से 138 वोडाफोन-आइडिया और 138 एयरटेल की सिम हैं। 4 मोबाइल, 2 पैन कार्ड, 2 आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, 1 कार, चेन, ब्रेसलेट और फर्जी दस्तावेज समेत 11 हजार 620 रुपए बरामद किए गए हैं।

महादेव ऐप पर ED की कार्रवाई के बाद नया ऐप

2021 से 32 फर्जी कंपनियों के नाम पर 4000 सिम दुबई भेजे गए। इन मोबाइल नंबरों से वॉट्सऐप और टेलीग्राम ग्रुप बनाकर ठगी की जा रही है। बैंक खातों को मुंबई साइबर सेल ने फ्रीज किया हुआ है। आरोपियों अभय और संजीव के खिलाफ बलिया में मुकदमा भी दर्ज है।

महादेव बुक पर ED की कार्रवाई के बाद इस समय रेड्डी अन्ना बुक, फेयर प्ले, लोटस 365, मैजिकविन, गोल्डन 444, दमन बुक, विनबज और IPL विन 365 के नाम से ऐप चलाए जा रहे। इसकी फ्रेंचाइजी पूरे देश में दी जाती है। ठगी से आई रकम में 80 फीसदी सौरभ चंद्राकर और शुभम सोनी (महादेव बुक ऐप के प्रमोटर) की ओर से भारतीय खातों में ट्रांसफर किए जाते हैं।

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