कचरा प्रबंधन के नाम पर बीएसपी में चल रहा पैसों का खेल – एचएस मिश्रा

  • प्लास्टिक कचरे के रिसाइकिलिंग से निकलने वाले एग्लो का नहीं हो रहा संयंत्र में उपयोग
  • पर्यावरण विभाग की सक्रियता के बाद भिलाई निगम के साथ लीपापोती में जुटा संयंत्र प्रबंधन

भिलाई। हिंद मजदूर सभा के प्रदेश कार्यवाहक अध्यक्ष एचएस मिश्रा ने कचरा प्रबंधन के नाम पर भिलाई इस्पात संयंत्र में पैसों का खेल चलने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि प्लास्टिक कचरे के रिसाइकिलिंग से निकलने वाले एग्लो ( दाने ) का संयंत्र में जलाने के उपयोग में लाने की कोई प्रक्रिया नहीं की जा रही है। अब जब स्वच्छ भारत अभियान के तहत पर्यावरण विभाग सक्रिय हुआ है तो भिलाई नगर निगम के साथ मिलकर संयंत्र प्रबंधन इस मामले पर लीपापोती में जुट गया है।वरिष्ठ श्रमिक नेता एचएस मिश्रा ने कहा कि भिलाई इस्पात संयंत्र प्रबंधन आए दिन इस बात की घोषणा करता रहता है कि उसके द्वारा प्लास्टिक का रिसाइक्लिंग किया हुआ प्रोडक्ट एग्लो ( दाना ) को प्लांट में जलाया जाता है। जबकि आज तक एक दाना भी नहीं जलाया गया है। अब जबकि इस बात की जानकारी हुई है कि प्रधानमंत्री के विकसित भारत अभियान के तहत पर्यावरण विभाग कुछ सक्रिय हुआ है तो भिलाई इस्पात संयंत्र के पर्यावरण विभाग के अधिकारी अपने झूठ पर लीपापोती करने में जुट गए हैं। उन्होंने बताया कि इस सारे कार्यक्रम में भिलाई नगर निगम के लोग भी संयंत्र प्रबंधन का सहयोग कर रहे हैं। क्योंकि भिलाई नगर निगम के पास भी प्लास्टिक कचरे के निष्पादन का कोई प्रकल्प नहीं है। भिलाई नगर निगम में कचरे के नाम पर करोड़ों रुपए की बंदर बांट जारी है। उसी प्रकार भिलाई इस्पात संयंत्र में भी कचरे के प्रबंधन के नाम पर पैसों का खेल चल रहा है।श्री मिश्रा ने बताया कि एक जानकारी के अनुसार संयंत्र प्रबंधन लोगों से साफ सफाई की सुविधा के नाम पर भी पैसे वसूलता है। जबकि टाउनशिप के एडमिनिस्ट्रेशन के लिए लगभग 7: 50 करोड़ रुपए का बजट वार्षिक रूप से सेल द्वारा अलग से दिया जाता है। वर्ष 2017 तक भिलाई टाउनशिप के कचरे को डिस्पोजल के लिए नगर पालिक निगम भिलाई को दिया जाता था। इसके एवज में नगर पालिक निगम भिलाई को बीएसपी भुगतान करती थी। वर्ष 2018 में भिलाई नगर निगम ने टाउनशिप के कचरे को डिस्पोजल के लिए लेने से इंकार कर दिया। तब बीएसपी ने अपनी व्यवस्था बनाते हुए पहले टेक्निकल यूनिवर्सिटी के पास फिर यहां दिक्कत होने पर जयंती स्टेडियम के पास और फिर बाद में जवाहर उद्यान के पास कचरे को डालना शुरू किया। इन स्थानों पर बिना उपचारित किए (विदाउट प्रोसेसिंग) कचरे को डंप करने के कारण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बीएसपी पर भारी जुर्माना लगाया था। प्रदूषण नियंत्रण मंडल , नगर पालिक निगम और सूडा के भारी दबाव में नेवई में कचरे के प्रोसेसिंग के लिए एसएलआरएम सेंटर बनाया गया। जहां गीले कचरे से खाद बनाये जाने व्यवस्था के साथ प्लास्टिक कचरे के रिसाइक्लिंग के लिए प्लांट लगाने अंबिकापुर के फर्म को एनओसी दिया गया। इसके माध्यम से भिलाई को प्लास्टिक कचरे से मुक्त करने और प्लास्टिक कचरे से बनने वाले दाने को प्लांट में जलाने की योजना थी। श्री मिश्रा ने बताया कि अंबिकापुर की फर्म का काम संतोषजनक नहीं रहने पर जनवरी 2023 में एनओसी वापस ले लिया गया और नई समाजसेवी संस्था को फरवरी 2023 में एनओसी दिया गया। प्लास्टिक के कूड़े से बनने वाले दाने नुमा (एग्लो) को कोक बनाते समय कोल में मिलाने के लिए आरडीसीआईएस रांची में परीक्षण कराया गया। आरडीसीआईएस रांची के रिकमंडेशन के अनुसार कोल के 2 फीसदी मात्रा तक दाने नुमा (एग्लो) को कोल में मिलाने से कोक की क्वालिटी बढ़ती है साथ ही प्लास्टिक को वैज्ञानिक पद्धति से खत्म किया जा सकता है। तमाम परीक्षण और कोक ओवन में इसको चार्ज करने के लिए सिस्टम भी बनाया गया है। परन्तु अब तक प्लांट में उपयोग शुरू नहीं किया गया है। जबकि संयंत्र प्रबंधन द्वारा नगर निगम, पर्यावरण मंडल एवं जिला प्रशासन को प्लास्टिक कचरे को वैज्ञानिक पद्धति से खत्म करना शुरू कर दिए जाने की जानकारी लगातार दी जाती है। हाल ही में इस बात की भी जानकारी हुई है कि राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण की एक टीम भिलाई नगर पहुंचने वाली है। इसलिए लगातार झूठा बयान और जानकारियां प्रसारित प्रचारित की जा रही है।

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