दुर्ग-भिलाई|IBC दुर्ग-भिलाई चेप्टर ने 25/05/2024 को रिहैबिलिटेशन एंड रेट्रोफाइटिंग ऑफ स्ट्रक्चर बाय कार्बन रैपिंग टेक्नोलॉजी विषय में एक तकनीकी सेमिनार कराया, जिसका उद्देश्य पुराने आर सी सी स्ट्रक्चर वाले किसी भी आकृति के ढांचे को चाहे वो आवासीय घर, हॉस्पिटल, इंडस्ट्रियल स्ट्रक्चर, चिमनी, कूलिंग टॉवर, ओवर हेड टैंक आदि क्यों न हो, इन सभी संरचना को उनके मूल आकृति में रखते हुवे नई जीवन दे कर उस संरचना को निस्तो नाबूत होने से बचाना है, यह एक प्रकार से आर सी सी संरचना का चिकित्सा करने जैसा है।
IBC दुर्ग-भिलाई चेप्टर के अध्यक्ष डॉ. राजेश ताम्रकार , सचिव इंजी.संजीव कासलीवाल एवं कोषाध्यक्ष इंजी. शुभ्रकांत ताम्रकार ने इस तकनीकि सेमिनार का नेतृत्व किया।
इस सेमिनार के मुख्य विषय वाचक मुंबई से पधारे संरचना इंजीनियर मुकुंद गोहिल ने अपने अनुभव और ज्ञान के प्रकाश से हमें नई दुनिया दिखाई जहां संरचना को बिना छती पहुचाए या कम से कम तोड़ फोड़ कर पुरानी संरचना को नई शक्ति प्रदान कर उस संरचना का जीवन काल बढ़ा देना सिखाया। सेमिनार का विषय जितना दिलचस्प था, उससे ज्यादा दिलचस्प प्रस्तुति और स्पष्टीकरण रहा। स्पीकर इंजी. मुकुंद गोहिल और कार्यक्रम में उपस्थित सभी अभियंताओं का तकनीकि प्रश्न उत्तर का मंथन देखने योग्य और स्मरणीय रहा। इस मंथन और ज्ञान गंगा का लाभ लेने 150 से अधिक अभियंतागण कार्यक्रम में मौजूद रहे। यह कार्यक्रम पीडब्ल्यूडी विभाग दुर्ग के एम पी हॉल में संपन्न हुआ।
इस तकनिकी के माध्यम से वर्तमान संरचनओं की भर वहन करने की क्षमता को भी बढ़ाया जा सकता है जर्जर होती पानी की टंकी, पुल, आदि अनेक संरचनओं को वर्तमान की आवशयकता के अनुसार संशोधन और बदलाव किया जा रहा है ,
मुकुंद गोहिल द्वारा उनके द्वारा किये जा रहे मुंबई के २५ मंजिला भवन को बढाकर ३२ मंजिला तक बढ़ाने में इस तकनीक के माधयम से डिज़ाइन करके भवन की भार वहन क्षमता को बढ़ाने का लाइव प्रदर्शन किया गया यही नहीं मुंबई के एक पुल को वर्तमान में उपयोग में आने वाले अधिक चक्कों वाले वाहनों के भार के अनुसार डिज़ाइन करके उनकी क्षमता को बढ़ाया जा रहा ह
इस तकनिकी की मुख्या विश्षेता यह है के किसी भी संरचना के कॉलम, बीम की साइज में किसी भी प्रकार के बदलाव की कोई आवश्यकता नहीं है | तकनिकी रूप से कार्बन फाइबर रैपिंग एक शश्क्त प्रोडक्ट है और आने वाले समय में इसके उपयोग से प्राकृतिक संसाधनों की खपत को भी कम की जा सकेगी और भवनों को अधिक समय तक उपयोग में लाया जा सकता है
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि PWD विभाग के अधीक्षक अभियंता इंजी.. एच. आर. ध्रुव रहे, जिन्होंने अपनी पूरी तकनीकी टीम, सभी अभियंताओं के साथ इस सेमिनार के मंथन के अंत में निकलने वाले अमृत रूपी उस ज्ञान के इंतजार में अंत तक बैठे थे, जिसका उपयोग कर वे सभी अभियंता छत्तीसगढ़ के विकास में नई तकनीक के समायोजन से निर्माण एवं संरचना के रख रखाव के कार्य में नई क्रांति सेना के रूप में आगे आ सकें। यह ज्ञान पाने और नई तकनीक सीखने सभी अभियंताओं ने शनिवार अवकाश के दिन इस ज्ञान को पाने निकल चले, ऐसा कर के उन्होंने जिज्ञासा और इक्षाशक्ति का मिसाल कायम किया।
IBC छत्तीसगढ़ स्टेट सेंटर के अध्यक्ष इंजी. सलिल श्रीवास्तव इंजी. आलोक महावार जी, वरिष्ठ सदस्य एवं मार्गदर्शक इंजी. एस के अग्रवाल जी के द्वारा कार्यक्रम की रूप रेखा निर्धारण और मार्गदर्शन कार्यक्रम के प्रारंभ से अंत तक मिलता रहा, वहीं रायपुर से आए IBC सी जी स्टेट चेप्टर के वरिष्ठगण एवं नेशनल बॉडी मेंबर इंजी. राजेश ठाकरे , सहसचिव इंजी. अनिल तिवारी , कोषाध्यक्ष इंजी. दीपक शिर्के एवं इंजी. जितेन्द्र उपाध्याय ने उपस्थिति दे कर कार्यक्रम का लाभ उठाया
इस कार्यक्रम का लाभ लेने प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले इंजीनियर्स, बिल्डर्स, निर्माण सामग्री डिस्ट्रीब्यूटर, इंडियन इंस्टीट्यूशन ऑफ़ इंजीनियर्स भिलाई के अध्यक्ष पुनीत चौबे , सचिव बसंत साहू , शासकीय विभाग के इंजीनियर्स, सेवानिवृत्त इंजीनियर्स एवं इस कार्यक्षेत्र से जुड़े तमाम लोग उपस्थित रहे।
कार्यक्रम को सफल बनाने IBC दुर्ग-भिलाई चेप्टर के सदस्य श्रीमती नमिता ताम्रकार, इंजी. कुमारी नैनिका कासलीवाल, इंजी. संतोष ताम्रकार (सेवानिवृत्त अधीक्षण अभियंता सिंचाई विभाग), इंजी. सुशील ताम्रकार (सेवानिवृत्त कार्यपालन, अभियंता नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग), अजय गौर, नगर निगम भिलाई, सुरेश केवलानी नगर निगम दुर्ग, इंजी हेमन्त श्रीवास्तव, इंजी. शशांक एवं अन्य सदस्यों का योगदान रहा। कार्यक्रम की जानकारी एवं ज्ञापन इंजी. शुभ्रकांत ताम्रकार कोषाध्यक्ष IBC दुर्ग-भिलाई चेप्टर द्वारा दिया गया।